Monday, June 24, 2024
Dreamland Publications #64 - Ramayana Part 12 FINAL PART (English)
Dreamland Publications #63 - Ramayana Part 11 (English)
Thursday, June 20, 2024
Dreamland Publications #62 - Ramayana Part 10 (English)
Dreamland Publications #61 - Ramayana Part 9 (English)
Monday, June 17, 2024
Star One Comics 15 - Sarabhai V/S Sarabhai - Who is Going to Die (English)
Sunday, June 9, 2024
हिंदी कथाएँ - मेरा नया ब्लॉग
Monday, June 3, 2024
बचपन में पढ़ी कहानी 15 - नाम बड़ा या काम? (पुरुषोत्तम दास गुप्त)
एक गाँव में एक किसान रहता था। उसका नाम बुद्धराम था। वह बड़ा परिश्रमी और अपने काम में चतुर था। उसकी पत्नी को अपने पति का नाम पसंद नहीं था। एक दिन उसने अपने पति से कहा, "तुमसे मैं कब से कह रही हूँ कि अपना नाम बदल लो। पर तुम सुनते ही नहीं हो। मेरी सहेलियाँ तुम्हारे इस नाम के कारण मुझे चिढ़ाती रहती हैं। मुझे भी तुम्हारा यह नाम अच्छा नहीं लगता।"
बुद्धराम ने कहा, "क्या पागल जैसी बात करती है? नाम से क्या होता है? काम बड़ी चीज है। तू ही देख, तेरा नाम तो शांति है पर झगड़ती रहती है बात-बात पर ।"
शांति ने कहा, "तुम चाहे जो समझो। अगर तुम अपना नाम नहीं बदलोगे, तो मैं अपने मायके चली जाऊँगी।" बुद्धराम ने गुस्से में आकर कहा, "तू मेरे पास रहे या न रहे तेरी इच्छा। कल जा रही तो आज ही चली जा। मैं अपना नाम क्यों बदलूँ ? मेरे माता-पिता ने मेरा जो नाम रखा है, वही रहेगा।" शांति को गुस्सा आ गया। उसने उसी समय घर छोड़ दिया और मायके की राह ली।
वह आगे चली तो उसने दूर एक पालकी आती हुई देखी। पालकी को चार कहार कंधों पर रखकर ला रहे थे। आगे-आगे दो-चार नौकर-चाकर चल रहे थे। पास आने पर शांति ने एक नौकर से पूछा, "पालकी में कौन है, भैया?" नौकर ने उत्तर दिया, "सरदारपुर की राजकुमारी गरीबबाई। वे अपने मायके जा रही हैं।" शांति चुप न रह सकी, "कैसी विचित्र बात है। हैं तो राजकुमारी, पर नाम है गरीबबाई। कोई अच्छा-सा नाम रखा होता। आदमी क्या उत्तर देता ?" वह चुप रहा।
शांति कदम बढ़ाती गई। सामने से एक दुबला-पतला आदमी भागा जा रहा था। वह घबराया हुआ था। शांति ने उससे पूछा, "क्या बात है भैया ? क्यों भागते जा रहे हो ?" उसने उत्तर दिया। "क्या बताऊँ बहिन, वह जो आदमी मेरे पीछे आ रहा है, आज उसने मुझे खूब पीटा है। वह फिर भी पीछा नहीं छोड़ रहा है।" "क्या नाम है उसका?" शांति ने पूछा। उसने कहा, "कोमलचंद।" "और तुम्हारा नाम क्या है?" शांति ने पूछा। उसने उत्तर दिया, "शेरसिंह।" शांति बिना हँसे न रह सकी। वह मन ही मन बोली, "वाह रे भगवान ! तेरी लीला विचित्र है। शेरसिंह, गीदड़ की तरह भागा जा रहा है और कोमलचंद उसका पीछा कर रहा है। नाम और काम में कोई मेल ही नहीं है।"
पर शांति फिर भी लौटी नहीं। वह एक शहर
में से जा रही थी। मार्ग में एक हवेली के सामने सैकड़ों भिखारी एकत्र थे। एक सेठजी
उनको रुपया-पैसा भोजन-वस्त्र बाँट रहे थे। शांति से रहा न गया। वह उस भीड़ के पास
पहुँची। उसने एक भिखारी से पूछा, "यह सब क्या हो रहा है?" उसने उत्तर दिया, "इन सेठजी का जन्म-दिन है आज।
इसी खुशी में दान-दक्षिणा दे रहे हैं। तुमको चाहिए, तो यहीं
खड़ी रहो, कुछ-न-कुछ मिल ही जाएगा।"
बचपन में पढ़ी कहानी 14 - सपूत ( पुरुषोत्तम दास गुप्त )
एक कुएँ पर कुछ स्त्रियाँ पानी भर रही थीं। इन्हीं में चार स्त्रियाँ सरस्वती, मैना, गिरिजा और फूलवती थीं। चारों के एक-एक पुत्र था। पानी भरते-भरते बातें चल पड़ीं। वे अपने-अपने पुत्रों के गुणों की प्रशंसा करने लगीं।
सरस्वती कुछ पढ़ी-लिखी थी। पहले वही बोली, "मेरा बेटा ज्ञानचंद बड़ा विद्वान है। उसे हजारों श्लोक मुखाग्र हैं। मैं तो ऐसा बेटा पाकर खुश हूँ।"
फूलवती को मौन तोड़ना पड़ा। वह बड़ी नम्रता से बोली, "मैं क्या कहूँ दीदी! मेरा राम न विद्वान है, न गायक है और न पहलवान है। उसमें ऐसा कोई गुण नहीं है, जैसा तुम लोगों के बेटों में है। वह तो सीधा-सादा है।"
इन चारों स्त्रियों की
बातें एक वृद्धा सुन रही थी। वह भी पनघट पर पानी भरने आई थी। अब तक वे पानी भर
चुकी थीं। उन्होंने अपने-अपने घड़े उठाए और घर की राह ली। वृद्धा के पीछे-पीछे
चलने लगीं। वे कुछ ही कदम चली थी कि सरस्वती का बेटा ज्ञानचंद जोर-जोर से श्लोकों
का उच्चारण करता हुआ निकल गया। सरस्वती ने अपनी साथिनों की तरफ बड़े अभिमान से
देखा।
वे कुछ आगे बढ़ीं। कोई
बड़े सुरीले कंठ से गाता हुआ आ रहा था। उसके पास आ जाने पर उन्होंने देखा कि वह
मैना का बेटा मोहन था। मैना अपने बेटे की सुरीली तान सुनकर बहुत खुश हुई। मोहन
गाता हुआ आगे निकल गया।
वे आगे बढ़ती गईं। सबने देखा कि एक नौजवान अकड़ता हुआ सामने आ रहा था। उसकी चाल में हाथी जैसी मस्ती थी। उसका सीना तना हुआ था। गिरिजा ने अभिमान के साथ बताया कि वह उसका बेटा गणेश है। गणेश अपनी मस्ती में इन सबके पास से होता हुआ निकल गया।
वे कुछ और आगे चलीं तो उन्हें एक नवयुवक दिखा। वह जल्दी-जल्दी कदम बढ़ाता हुआ लपककर
उनके पास आया। उसने फूलवती के सिर पर से पानी का बर्तन ले लिया। उसने यह बर्तन अपने कंधे पर रखा और इनके आगे-आगे चलने लगा। वह फूलवती का बेटा राम था।वृद्धा की बात सुनकर तीनों का घमंड चूर हो गया। बात भी सच है। सपूत वही है जो अपने माता-पिता की सेवा करता है।
Wednesday, May 29, 2024
Star One Comics 14 - Sarabhai V/S Sarabhai - The Lesson (English)
Monday, May 20, 2024
Star One Comics 13 - Sarabhai V/S Sarabhai - Saahil's Dilemma (English)
Saturday, May 18, 2024
Star One Comics 16 - Sarabhai V/S Sarabhai - The Cleanliness Drive
Sarabhai V/S Sarabhai - The Cleanliness Drive
Tuesday, May 14, 2024
SB कॉमिक्स (SB Comics) @ The ICE Project Blog
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