80 के दशक में सोवियत संघ से मित्रतापूर्ण रिश्तों की नियामत के तौर पर वहाँ की बहुत सी शानदार पुस्तकें हिंदी भाषा में बहुत ही उच्च क्वालिटी में बेहद कम मूल्यों पर प्रकाशित की जाती थी, जो उन दिनों लगने वाले पुस्तक मेलों में बहुतायत में मिलते थे.
उसी समय की एक बेहद सुन्दर कहानी है- चूक और गेक
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