प्रकृति से बढ़कर कुछ भी सुन्दर नहीं है और जिसका दिल प्रकृति की करिश्माई फूलों, तितलियों, चिड़ियाओं और जानवरों पर आ गया उस बाल मन को तो फिर किसी का होश कहाँ.
कुछ ऐसा ही हुआ सुहेल के साथ और वो बन गया गुलाब का दोस्त - हाँ जी, बाकी सब का भी.
पढ़िए मनोरजक सी कथा - राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (National Book Trust) - गुलाब का दोस्त
अरे हाँ, एक साथ दो दो पेज पढियेगा, तभी कहानी का असली मजा आएगा क्योंकि इसके चित्र दो पन्नों में विभाजित हैं. साथ देखेंगे तभी आएगा मजा
Disclaimer - Uploaded only to encourage children to read books and develop their knowledge and imagination. Ask to remove if you have any objection.
Brother can you please start uploading Bal Pocket books of Rajan Iqbal again. I really miss your old blog which was exclusively for Rajan Iqbal pocket books. I am sure there will be many people like me who want to read those gems from our childhood.
ReplyDeleteI have sold/exchanged all most all of them dear brother, but whaterver is left, I will upload one today.
ReplyDeleteबहोत बहोत शुक्रिया अनुपम भाई इस दुर्लभ पुस्तक के लिए !!!
ReplyDeleteThanxs a lot Anupam bhai.
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