बुन्देलखंडी बोली बड़ी प्यारी होती है. बचपन में जब मैं कक्षा पहली में था - तब एक बड़ी प्यारी सी लोरी पढ़ी थी अपनी हिंदी की पुस्तक में - 'झूल भैया झूल' -
आज भी पुस्तक मेरे पास है - तो लीजिये उस पाठ का चित्र आपको दिखाता हूँ, आप भी देखेंगे कितनी मीठी है यह बोली -हमारी हिंदी की तरह ही तो है - प्यारी और अपनी सी...
इसी बुन्देलखंडी भाषा में एक बड़ी सुन्दर की किताब कल हाथ लगी इन्टरनेट पर - अगर पसंद आये तो कोशिश करें की आप लेवें - केवल 30 रुपये की है. मैं भी कोशिश कर रहा हूँ इसे खरीदने की - ताकि ऐसी ही पुस्तकों के प्रकाशन का मार्ग प्रशस्त हो...
आइये पढ़ते हैं मिजबान - बुन्देलखंडी लोककथाओं का संकलन
Thanxs a lot Anupam bhai.
ReplyDeleteThanxs anupam bhai
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