क्या आप जानते हैं की वर्तमान में प्रचलित एक हजार रुपये के बैंक नोट के पहले भी भारत में इस मूल्य के बैंक नोट प्रचलित रह चुके हैं। ना केवल एक हजार बल्कि भारत में पांच और दस हजार के रुपये भी मुद्रित हुए थे। जरा सोचिये उस वक्त इन नोट की क्या अहमियत होती थी होगी।
खैर पांच और दस हजार के बारे में फिर कभी, आज बात करते हैं एक हजार के इन पुराने नोटों के बारे में।
रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के द्वारा एक हजार का सबसे पहला बैंक नोट जारी किया गया था 1 अप्रेल 1954 को, जिसमे बी रामा राव के हस्ताक्षर थे गवर्नर के रूप में। पीछे तंजौर ब्रिहदेश्वर मंदिर का चित्र इस नोट में मुद्रित किया गया था।
एक झलक इस नोट की प्रस्तुत है -
इसी नोट में हिंदी में सुधार और रंग पर्तिवर्तन के साथ मुद्रित किया गया था, जो की 1967 तक जारी हुए थे।
इन नोट्स में क्रमशः B.RAMA RAU, H.V.R. IYENGAR और P.C. BHATTACHARYA के हस्ताक्षर गवर्नर के रूप में थे।
आठ वर्ष के अंतराल के पश्चात डिजाइन में परिवर्तन के साथ 1975 से 1977 तक इन्हें पुनः जारी किया गया। इस बार गवर्नर थे - N.C.SENGUPTA और K.R.PURI .
और फिर बढ़ते हुए काले धन और नकली नोट के खतरे को ध्यान में रखते हुए इन बड़े मूल्य के बैंक नोट का प्रचलन बंद कर दिया गया था। और पूरे तेईस बीस साल बाद इनका प्रकाशन महात्मा गाँधी सीरिज के तहत चालु किया गया जो हम आज प्रयोग कर रहे हैं।
एक कॉमिक्स साईट में शायद ये लेख आपको न लुभायें, परन्तु मैंने विचार किया है की अब अपने ब्लॉग को मैं किसी एक क्षेत्र तक सिमित नहीं रखकर उसमे कुछ अलग विषयों पर लिखते रहूँगा।
अपने सुझाव और विचारों से अवगत करवाएं।
खैर पांच और दस हजार के बारे में फिर कभी, आज बात करते हैं एक हजार के इन पुराने नोटों के बारे में।
रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के द्वारा एक हजार का सबसे पहला बैंक नोट जारी किया गया था 1 अप्रेल 1954 को, जिसमे बी रामा राव के हस्ताक्षर थे गवर्नर के रूप में। पीछे तंजौर ब्रिहदेश्वर मंदिर का चित्र इस नोट में मुद्रित किया गया था।
एक झलक इस नोट की प्रस्तुत है -
इसी नोट में हिंदी में सुधार और रंग पर्तिवर्तन के साथ मुद्रित किया गया था, जो की 1967 तक जारी हुए थे।
इन नोट्स में क्रमशः B.RAMA RAU, H.V.R. IYENGAR और P.C. BHATTACHARYA के हस्ताक्षर गवर्नर के रूप में थे।
आठ वर्ष के अंतराल के पश्चात डिजाइन में परिवर्तन के साथ 1975 से 1977 तक इन्हें पुनः जारी किया गया। इस बार गवर्नर थे - N.C.SENGUPTA और K.R.PURI .
और फिर बढ़ते हुए काले धन और नकली नोट के खतरे को ध्यान में रखते हुए इन बड़े मूल्य के बैंक नोट का प्रचलन बंद कर दिया गया था। और पूरे तेईस बीस साल बाद इनका प्रकाशन महात्मा गाँधी सीरिज के तहत चालु किया गया जो हम आज प्रयोग कर रहे हैं।
एक कॉमिक्स साईट में शायद ये लेख आपको न लुभायें, परन्तु मैंने विचार किया है की अब अपने ब्लॉग को मैं किसी एक क्षेत्र तक सिमित नहीं रखकर उसमे कुछ अलग विषयों पर लिखते रहूँगा।
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